अध्याय 1: वास्तविक संख्याएँ (Real Numbers) 📘
📋 Table of Contents
परिचय और कुछ परिभाषाएं ✍️
🔢 वास्तविक संख्याएँ (Real Numbers)
- सभी परिमेय और अपरिमेय संख्याएँ वास्तविक संख्याएँ होती हैं।
- वास्तविक संख्याओं का समूह R से प्रदर्शित किया जाता है।
- प्रत्येक वास्तविक संख्या या तो परिमेय संख्या होती है या अपरिमेय संख्या।
- वह वास्तविक संख्या जो परिमेय नहीं होती, उसे अपरिमेय संख्या कहा जाता है।
- परिमेय और अपरिमेय संख्याओं का योग, अंतर या गुणनफल हमेशा अपरिमेय होता है।
📚 वास्तविक संख्याओं के प्रकार (Types of Real Numbers)
🌟 प्राकृतिक संख्याएँ :
- गिनती की संख्याएँ 1, 2, 3, ... को प्राकृतिक संख्याएँ कहते हैं।
- i.e ; N = {1, 2, 3,........}
- प्राकृतिक संख्याओं का समूह N से प्रदर्शित किया जाता है।
पूर्णांक :
- प्राकृतिक संख्याएँ जिनमें शून्य शामिल हो, उन्हें पूर्णांक कहते हैं।
- i.e; W = { 0,1,2,3,4.......}
- 📗 पूर्णांकों का समूह W से प्रदर्शित किया जाता है।
⚡ सम संख्याएँ :
- वह संख्या जो 2 से पूरी तरह विभाज्य हो या 2 का गुणांक हो, उसे सम संख्या कहते हैं।
- उदाहरण : 2, 4, 6........
⚡ विषम संख्याएँ :
- वह संख्या जो 2 से विभाज्य नहीं होती, उसे विषम संख्या कहते हैं।
- उदाहरण : 1, 3, 5......
🧮 पूर्णांक :
- सभी धनात्मक और ऋणात्मक प्राकृतिक संख्याएँ, शून्य सहित, पूर्णांक कहलाती हैं।
- i.e; I = {.....-3, -2, -1 , 0, 1, 2, 3......}
- पूर्णांकों का समूह I से प्रदर्शित किया जाता है।
📏 परिमेय संख्याएँ :
- वे संख्याएँ जो p/q के रूप में लिखी जा सकती हैं, जहाँ q शून्य के बराबर नहीं होता, तथा p और q दोनों पूर्णांक हो|
- परिमेय संख्याओं का समूह Q से प्रदर्शित किया जाता है।
- हर प्राकृतिक संख्या a को a / 1 के रूप में लिखा जा सकता है, अत: वह परिमेय संख्या है।
- हर परिमेय संख्या दशमलव में शांत होती है या अशांत आवर्ती दशमलव होती है।
🚫 अपरिमेय संख्याएँ :
- अपरिमेय संख्या का मतलब है "परिमेय नहीं"।
- अपरिमेय संख्या वह होती है जिसे p/q के रूप में नहीं लिखा जा सकता जहां p और q दोनों पूर्णांक हो |
- दशमलव रूप में ये न समाप्त होती हैं न आवर्ती होती हैं। इसलिए इसके दशमलव रूप को अशांत अनावर्ती कहते है |
- पाई (π) का वास्तविक मान 22/7 नहीं है; 22/7 परिमेय है जबकि पाई अपरिमेय है।
🏆 अभाज्य संख्याएँ :
- वह संख्या जो केवल 1 और स्वयं से केवल विभाज्य होती है, उसे अभाज्य संख्या कहा जाता है।
- उदाहरण : 2, 3, 5, 7, 11..........
- 1 अभाज्य संख्या नहीं है |
- एक मात्र सम संख्या 2 अभाज्य संख्या है।
- सभी अभाज्य संख्याएँ विषम होती हैं, सिवाय 2 के।
🏆 भाज्य संख्याएँ :
- वैसी संख्या जिसके एक के अलावा दो या दो से अधिक अभाज्य गुणनखंड होते है, भाज्य संख्या कहते है |
- उदाहरण : 4, 6, 8, 9, 10, 12........
- 🚫 1 न तो भाज्य है और ना ही अभाज्य |
- 4 सबसे छोटी संयोजी संख्या है।
🤝 सह-अभाज्य संख्याएँ :
- दो धनात्मक संख्याएँ सह-अभाज्य कहलाती हैं, यदि उनका HCF केवल 1 हो।
- उदाहरण : HCF(2,3) = 1
🧵 अनुक्रमिक संख्याएँ :
- प्राकृतिक संख्याओं की वह श्रेणी जिसमें हर संख्या अपनी पूर्ववर्ती संख्या से 1 अधिक होती है।
- उदाहरण : 3, 4, 5, 6, ...
- 455 = 42 × 10 + 35
- 42 = 35 × 1 + 7
- 35 = 7 × 5 + 0
अंकगणित की आधारभूत प्रमेय 🧮
1 से बड़े प्रत्येक धनात्मक पूर्णांक को एक अभाज्य संख्या या दो या दो से अधिक अभाज्य संख्याओं के गुणनफल के रूप में लिखा जा सकता है।
- 1400 = 2 × 2 × 2 × 5 × 5 × 7
- 60 = 2 × 2 × 3 × 5
- 35 = 60 = 5 × 7
Check Your Understanding :
Question :
प्रत्येक संख्या को उसके अभाज्य गुणकों (prime factors) के गुणनफल के रूप में व्यक्त कीजिए।
a. 140
b. 156
c. 3825
d. 5005
e. 7429
किसी संख्या को अपरिमेय सिद्ध करना✨
वे संख्याएँ जो भिन्न (Fraction) के रूप में व्यक्त नहीं की जा सकतीं, उन्हें अपरिमेय संख्याएँ (Irrational Numbers) कहा जाता है।
उदाहरण 1 : सिद्ध कीजिए कि √5 एक अपरिमेय संख्या है |
उत्तर : मान लीजिए कि √5 एक परिमेय संख्या है। अतः, इसे p/q के रूप में लिखा जा सकता है, जहाँ p और q सह-अभाज्य पूर्णांक हैं तथा q ≠ 0 है।
तो,
√5 = p / q
अब दोनों पक्षों का वर्ग करते हैं:
(√5)² = (p/q)²
⇒ 5 = p² / q²
⇒ 5q² = p² …………………… (1)
इसका
अर्थ है कि p²,
5 से
विभाजित होता है।
⇒ इसका अर्थ है कि p भी 5 से विभाजित होगा।
⇒ मान लें p = 5k, जहाँ k एक पूर्णांक है।
अब, p² = (5k)² = 25k² …………………… (2)
समीकरण (1) और (2) को तुलना करें:
5q² = 25k²
⇒ q² = 5k²
इससे
यह निष्कर्ष निकलता है कि q² भी
5 से विभाजित है।
⇒ इसका अर्थ है कि q भी 5 से विभाजित है।
इस
प्रकार, p और q दोनों 5 से विभाजित हैं।
⇒ इसका मतलब है कि p और q के बीच 5 एक सामान्य भाजक है।
परंतु यह हमारे आरंभिक मान्यता का खंडन करता है, क्योंकि हमने माना था कि p और q सह-अभाज्य हैं।इसलिए, हमारी मूल मान्यता कि √5 एक परिमेय संख्या है, गलत सिद्ध होती है।
अतः √3 अपरिमेय संख्या है। ✅सिद्ध करें कि 6 + √2 एक अपरिमेय संख्या है।
उत्तर: मान लीजिए, 6 + √2 एक परिमेय संख्या है। हम सह-अभाज्य संख्याएँ a तथा b (जहाँ b ≠ 0) प्राप्त कर सकते हैं, जिनके लिए:
6 + √2 = a / b
⇒√2 = a / b - 6
⇒√2 = (a - 6b) / b
चूँकि a तथा b पूर्णांक हैं, इसीलिए (a - 6b) और b भी पूर्णांक होंगे तथा दो पूर्णांकों का भागफल भी एक परिमेय संख्या होगी। ∴ √2 एक परिमेय संख्या है।
लेकिन यह इस तथ्य का विरोधाभास है कि √2 एक अपरिमेय संख्या है। ∴ हमारी कल्पना गलत है।
अतः, 6 +
√2 एक अपरिमेय संख्या है।
Check Your Understanding :
Question :
Prove that the following are irrationals:
a. √2
b. 3 + √2
c. 1 / √7
d. 2 - 3√5
e. √3 - √5
AN IMPORTANT PROPERTY✨
Example 01 :
Find the LCM and HCF of the 26 and 91 and verify that LCM × HCF = product of the two numbers.
Explanation :
To find the LCM (Least Common Multiple) and HCF (Highest Common Factor) of two numbers, 26 and 91, we can use the following steps:
Step 1: Find the prime factors of each number.
Step 2: Determine the LCM by taking the product of all the unique prime factors with their highest powers.
Step 3: Determine the HCF by taking the product of all the common prime factors with their lowest powers.
Step 1: Prime factors of 26 and 91
26 = 2 × 13
91 = 7 × 13
Since, LCM = 2 × 7 × 13 = 182
HCF = 13
Now, let's verify if LCM × HCF = product of the two numbers:
LCM × HCF = 182 × 13 = 2366
Product of the two numbers = 26 × 91 = 2366
As we can see, LCM × HCF and the product of the two numbers are both equal to 2366. Therefore, the verification is successful.
So, the LCM of 26 and 91 is 182, the HCF is 13, and
LCM × HCF is indeed equal to the product of the two numbers (26 × 91 = 2366).
Example 02 :
Find the LCM and HCF of 12, 15 and 21 by applying the prime factorization method.
Solution :
To find the LCM (Least Common Multiple) and HCF (Highest Common Factor) of 12, 15, and 21 using the prime factorization method, we need to follow these steps:
Step 1: Find the prime factors of each number.
Step 2: Determine the LCM by taking the product of all the unique prime factors with their highest powers.
Step 3: Determine the HCF by taking the product of all the common prime factors with their lowest powers.
Now,
12 = 2^2 × 3
15 = 3 × 5
21 = 3 × 7
Since,
LCM = 2^2 × 3 × 5 × 7 = 420
HCF = 3
So, the LCM of 12, 15, and 21 is 420, and
the HCF is 3
Example 03 :
Given that HCF (306, 657) = 9. Find the LCM (306, 657).
Solutions :
HCF (306, 657) × LCM (306, 657) = 306 × 657
⇒ 9 × LCM (306, 657) = 306 × 657
⇒ LCM (306, 657) = 306 x 657/9 = 34 x 657
⇒ LCM (306, 657) = 22338.
Check Your Understanding
प्रश्न:
a. 510 और 92 का LCM और HCF निकालें और यह सत्यापित करें कि LCM × HCF = दो संख्याओं का गुणनफल।
b. 8, 9 और 25 का LCM और HCF निकालें, और इसका पता लगाने के लिए गुणांक विधि (prime factorisation method) का उपयोग करें।
c. यह दिया गया है कि HCF (96,
404) = 4। अब LCM (96, 404) का
मान निकालें।