Class 10 - जैव प्रक्रम के प्रश्न एवं उत्तर
प्र.1: हमारे जैसे बहुकोशिकीय जीवों में ऑक्सीजन की आवश्यकता पूरी करने में विसरण क्यों अपर्याप्त है?
उत्तर: चूँकि बहुकोशिकीय जीवों का शरीर कोशिकाओं के विभिन्न परतों से मिलकर बना होता है जो पर्यावरण के सीधे संपर्क में नहीं आ पाता है, इसलिए ऑक्सीजन की आवश्यकता पूरी करने में विसरण अपर्याप्त है।
प्र.2: कोई वस्तु सजीव है, इसका निर्धारण करने के लिए हम किस मापदंड का उपयोग करेंगे?
उत्तर: कोई वस्तु सजीव है, इसका निर्धारण करने के लिए हम निम्नलिखित मापदंड का उपयोग करेंगे - श्वसन, पोषण, उत्सर्जन इत्यादि, वृद्धि तथा विकास, नियंत्रण एवं समन्वय, जनन।
प्र.3: किसी जीव द्वारा किन कच्ची सामग्रियों का उपयोग किया जाता है?
उत्तर: निम्नलिखित कच्ची सामग्रियों का उपयोग किया जाता है:
[I] भोजन [II] वायु [III] जल
प्र.4: जीवन के अनुरक्षण के लिए आप किन प्रक्रमों को आवश्यक मानेंगे?
उत्तर: जैव प्रक्रम।
प्र.5: स्वयंपोषी पोषण तथा विषमपोषी पोषण में क्या अंतर है?
उत्तर:
स्वयंपोषी पोषण:
- इसमें सजीव अपना भोजन स्वयं संश्लेषित करते हैं।
- इसके द्वारा भोजन प्राप्त करने वाले जीवों को उत्पादक कहते हैं।
- इसमें प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया होती है।
- जैसे: सभी हरे पेड़-पौधे तथा कुछ जीवाणु (नील हरित शैवाल)।
विषमपोषी पोषण:
- इसमें सजीव अपना भोजन स्वयं संश्लेषित न कर दूसरे जीवों पर आश्रित रहते हैं।
- इसके द्वारा भोजन प्राप्त करने वाले जीवों को उपभोक्ता कहते हैं।
- इसमें प्रकाश संश्लेषण नहीं होती है।
- जैसे: सभी जंतु।
प्र.6: प्रकाशसंश्लेषण के लिए आवश्यक कच्ची सामग्री पौधा कहाँ से प्राप्त करता है?
उत्तर:
- कार्बन डाइऑक्साइड: वातावरण या वायुमंडल से।
- जल: मिट्टी या भूमि से।
- क्लोरोफिल: पतियों से।
- सूर्य का प्रकाश: सूर्य से।
प्र.7: हमारे आमाशय में अम्ल की भूमिका क्या है?
उत्तर:
- भोजन को अम्लीय बनाना।
- रोगाणुओं को नष्ट करना।
- जठर रस में उपस्थित एंजाइम पेप्सिनोजेन को सक्रिय करना।
प्र.8: पाचक एंजाइमों का क्या कार्य है?
उत्तर: जटिल एवं अघुलनशील भोज्य पदार्थों को सरल एवं घुलनशील भोज्य पदार्थों में बदलना। जैसे: एमाइलेज, कार्बोहायड्रेट को आंशिक रूप से माल्टोज में बदल देता है।
प्र.9: पचे हुए भोजन को अवशोषित करने के लिए क्षुदांत्र को कैसे अभिकल्पित किया गया है?
उत्तर: क्षुद्रांत की लंबाई लगभग 6.5 मीटर होती है। इसकी आंतरिक भिती पर असंख्य अंगुलीनुमा संरचनाएं पाई जाती हैं जिसे दीर्घरोम कहते हैं और इनमें रक्त वाहिकाओं तथा लसीका वाहिकाओं का जाल बिछा होता है। पचित भोज्य पदार्थ रसांकुर के द्वारा अवशोषित कर लिए जाते हैं एवं रक्त परिवहन के माध्यम से शरीर के प्रत्येक कोशिकाओं तक चले जाते हैं। इस प्रकार पचे हुए भोजन को अवशोषित करने के लिए क्षुद्रांत को अभिकल्पित किया गया है।
प्र.10: श्वसन के लिए ऑक्सीजन प्राप्त करने की दिशा में एक जलीय जीव की अपेक्षा स्थलीय जीव किस तरह लाभप्रद है?
उत्तर: जलीय जीव जल में घुले हुए ऑक्सीजन का उपयोग करते हैं जिनकी मात्रा जल में सीमित होती है। इस ऑक्सीजन को प्राप्त करने में उन्हें कठिनाइयाँ होती हैं जबकि स्थलीय जीव ऑक्सीजन को सीधे वातावरण से प्राप्त करते हैं जिनकी मात्रा वातावरण में असीमित होती है, जिन्हें ग्रहण करने में स्थलीय जीवों को कठिनाइयाँ नहीं होती हैं। इस प्रकार श्वसन के लिए ऑक्सीजन प्राप्त करने की दिशा में एक जलीय जीव की अपेक्षा स्थलीय जीव लाभप्रद है।
प्र.11: ग्लूकोज के ऑक्सीकरण से भिन्न जीवों में ऊर्जा प्राप्त करने के लिए विभिन्न पथ क्या हैं?
उत्तर: ग्लूकोज के ऑक्सीकरण से भिन्न जीवों में ऊर्जा प्राप्त करने के लिए विभिन्न पथ निम्नलिखित है-
वायवीय श्वसन - श्वसन की वैसी विधि जिसमें ग्लूकोज का विखंडन वायु की उपस्थिति में होता है, वायवीय श्वसन कहलाता है ।
अवायवीय श्वसन - श्वसन की वैसी विधि जिसमें ग्लूकोज का विखंडन ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होता है, अवायवीय श्वसन कहलाता है ।
प्र.12: मनुष्यों में ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन कैसे होता है?
उत्तर: मनुष्यों में ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन निम्न तरीके से होता है-
अत्यधिक ऑक्सीजन रक्त में उपस्थित RBC के माध्यम से शरीर के प्रत्येक कोशिकाओं तक पहुंचता है तथा ऑक्सीजन (O2) की बहुत कम मात्रा रक्त में घुलकर कोशिकाओं तक पहुंचता है ।
अत्यधिक कार्बन डाइऑक्साइड कोशिकाओं से रक्त में घुलकर फेफड़ों तक पहुंचता है तथा कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) की बहुत कम मात्रा में RBC के द्वारा फेफड़ों तक पहुँचता है ।
प्र.13: गैसों के विनिमय के लिए मानव-फुफ्फुस में अधिकतम क्षेत्रफल को कैसे अभिकल्पित किया है?
उत्तर: मानव के फेफड़ों में लगभग लाखों कुपिकाएं पाई जाती है, यदि कुपिकाओं के सतह को फैला दिया जाए तो यह लगभग 80 वर्ग मीटर क्षेत्रफल को घेर लेगी, जब ऑक्सीजन कूपिका में प्रवेश करती है तो इसका सतही क्षेत्रफल बढ़ जाता है। क्षेत्रफल बढ़ जाने के कारण कूपिका रक्त नलिका के संपर्क में आ जाता है, फलस्वरूप कूपिका से ऑक्सीजन (O2) रक्त नलिका में तथा कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) रक्त नलिका से कूपिका में चला जाता है । इस प्रकार गैसों के विनिमय के लिए मानव फुफ्फुस में अधिकतम क्षेत्रफल को अभिकल्पित किया गया है ।
प्र.14: मानव में वहन तंत्र के घटक कौन-से हैं? इन घटकों के क्या कार्य हैं?
उत्तर: मानव में वाहन तंत्र के घटक निम्नलिखित हैं-
1. रक्त - कार्य: यह मानव में ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन करता है।
2. ह्रदय - कार्य: रक्त को पूरे शरीर में पंप करता है।
3. रक्त वाहिनियाँ - कार्य: रक्त को हृदय से शरीर के विभिन्न भागों तक तथा शरीर के विभिन्न भागों से रक्त को हृदय तक लाने का कार्य करती है।
प्र.15: स्तनधारी तथा पक्षियों में ऑक्सीजनित तथा विऑक्सीजनित रूधिर को अलग करना क्यों आवश्यक है?
उत्तर: स्तनधारी तथा पक्षियों में ऑक्सीजनित तथा विऑक्सीजनित रूधिर को निम्न कारणों से अलग करना आवश्यक है -
भोजन के पूर्ण विखंडन के लिए |
अधिक से अधिक ऊर्जा को प्राप्त करने के लिए |
शरीर के तापमान को बनाए रखने के लिए |
प्र.16: उच्च संगठित पादप में वहन तंत्र के घटक क्या हैं?
उत्तर: उच्च संगठित पादपों में वहन तंत्र के घटक मुख्य रूप से दो हैं -
1. जाइलम उत्तक: यह भूमि से जल एवं खनिज लवण को अवशोषित कर पौधों के पतियों तक पहुँचाता है।
2. फ्लोएम उत्तक: यह पत्तियों में बने भोज्य पदार्थों को पौधों के विभिन्न भागों तक पहुंचाता है।
प्र.17: पादप में जल और खनिज लवण का वहन कैसे होता है?
उत्तर: इनमें जल एवं खनिज लवण का वहन जाइलम उत्तक के घटक जाइलम वाहिनीकाएँ तथा जाइलम वाहीकाएँ के द्वारा होता है।
मूल रोम भूमि से जल को विसरण विधि द्वारा प्राप्त करता है तथा इसके साथ कुछ आयन भी अवशोषित हो जाते हैं। जाइलम उत्तक लगातार जड़, तना, शाखाओं तथा पतियों तक फैली होती है। वाष्पोत्सर्जन के कारण जल ऊपर की ओर गति करते हुए पौधों की पत्तियों तक पहुंच जाता है।
प्र.18: पादप में भोजन का स्थानांतरण कैसे होता है?
उत्तर: पादप में भोजन का स्थानांतरण फ्लोएम उत्तक के घटक चालनी नलिका तथा साथी कोशिका के द्वारा होता है।
पतियों में बना भोजन फ्लोएम उत्तक के घटक में प्रवेश करता है। भोजन के वहन के लिए ऊर्जा का प्रयोग किया जाता है। जैसे ही भोजन फ्लोएम उत्तक में प्रवेश करता है ठीक उसी समय जल की कुछ मात्रा भी जाइलम से फ्लोएम में प्रवेश करता है जिसके कारण इसके अंदर परासरण दाब बढ़ जाता है जिसके कारण भोजन उच्च दाब से निम्न दाब की ओर गति करने लगता है और पूरे पौधों में चला जाता है।
प्र.19: वृक्काणु (नेफ्रॉन) की रचना तथा क्रियाविधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
रचना :
1. बोमन संपुट: यह नेफ्रॉन का प्रथम भाग है जो प्याले नुमा होता है।
2. समीपस्थ कुंडलिक नलिका: यह कुंडली नली नुमा संरचना है जो बोमन संपुट से जुड़ा होता है।
3. हेनले चाप: यह नेफ्रॉन का सबसे लंबा भाग होता है।
4. दूरस्थ कुंडली नलिका: यह भी कुंडली नली है जो संग्राहक नली को हेनले चाप से जोड़ता है।
5. संग्राहक नली: यह नलिनुमा संरचना है जो सभी नेफ्रॉन से जुड़ा होता है।
क्रियाविधि :
1. छानन: रक्त केशिकागुच्छ में अफरेंट धमनी द्वारा प्रवेश करता है। यहाँ रुधिर का शुद्धिकरण होता है, फलस्वरूप यूरिया, यूरिक अम्ल, लवण, जल आदि छनकर बोमन संपुट में आ जाते हैं।
2. पुनः अवशोषण: लाभदायक पदार्थ जैसे ग्लूकोज, अमीनो अम्ल तथा जल आदि का नलिका के द्वारा पुनः अवशोषण कर लिया जाता है।
पुनः अवशोषण के बाद नलिका में बचा अपशिष्ट पदार्थ मूत्र कहलाता है जो संग्राहक नली, मूत्रवाहिनी से होते हुए मूत्राशय में जमा हो जाता है जिसे आवश्यकता अनुसार शरीर से बाहर त्याग दी जाती है।
प्र.20: उत्सर्जी उत्पाद से छुटकारा पाने के लिए पादप किन विधियों का उपयोग करते हैं?
उत्तर: उत्सर्जी उत्पाद से छुटकारा पाने के लिए पादप निम्नलिखित विधियों का उपयोग करते हैं -
✔ CO2 तथा O2 से छुटकारा पादप रंध्र एवं वातरंध्र के द्वारा पाते हैं।
✔ कुछ अपशिष्ट पदार्थों को गोंद के रूप में त्याग देते हैं।
✔ अतिरिक्त जल वाष्पोत्सर्जन प्रक्रिया द्वारा त्याग दिया जाता है।
✔ कुछ अपशिष्ट पदार्थ रसधानी में एकत्र हो जाते हैं।
✔ जब फल, फूल, तना, पत्तियां इत्यादि पौधे से अलग होते हैं तो अपशिष्ट पदार्थ भी पौधे से अलग हो जाते हैं।
प्र.21: मूत्र बनने की मात्रा का नियमन किस प्रकार होता है?
उत्तर: मूत्र बनने की मात्रा का नियमन जल की मात्रा एवं इसमें घुले अपशिष्ट पदार्थों की मौजूदगी पर निर्भर करता है।
✔ अत्यधिक जल तथा अपशिष्ट पदार्थ से अत्यधिक मूत्र का निर्माण होता है।
✔ कम जल एवं अपशिष्ट पदार्थ से कम मूत्र का निर्माण होता है।
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प्र.1: मनुष्य में वृक्क एक तंत्र का भाग है जो संबंधित है:
- (a) पोषण
- (b) श्वसन
- (c) उत्सर्जन
- (d) परिवहन
उत्तर: (c) उत्सर्जन
प्र.2: पादप में जाइलम उत्तरदायी है:
- (a) जल का वहन
- (b) भोजन का वहन
- (c) अमीनो अम्ल का वहन
- (d) ऑक्सीजन का वहन
उत्तर: (a) जल का वहन
प्र.3: स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक है:
- (a) कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल
- (b) क्लोरोफिल
- (c) सूर्य का प्रकाश
- (d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d) उपरोक्त सभी
प्र.4: पायरुवेट के विखंडन से यह कार्बन डाइऑक्साइड, जल तथा ऊर्जा देता है और यह क्रिया होती है:
- (a) कोशिकद्रव्य
- (b) माइटोकॉन्ड्रिया
- (c) हरित लवक
- (d) केन्द्रक
उत्तर: (b) माइटोकॉन्ड्रिया
प्र.5: हमारे शरीर में वसा के पाचन कैसे होता है? यह प्रक्रम कहाँ होता है?
उत्तर: हमारे शरीर में वसा का पाचन ग्रहणी (Duodenum) में होता है। यहाँ यकृत (Liver) से यकृत रस (Bile juice) स्रावित होता है जिसमें पित्तलवण (Bile salts) पाए जाते हैं जो वसा के बड़े अणुओं को छोटे अणुओं में तोड़ देते हैं। इसके बाद अग्न्याशय (Pancreas) से अग्न्याशयिक रस (Pancreatic juice) स्रावित होता है जिसमें लाइपेज (Lipase) एंजाइम पाया जाता है जो वसा को फैटी एसिड (Fatty acid) और ग्लिसरॉल (Glycerol) में परिवर्तित कर देता है। इस प्रकार वसा का पाचन मुख्यतः छोटी आँत (Small intestine) में पूर्ण होता है।
प्र.6: भोजन के पाचन में लार की क्या भूमिका है?
उत्तर: लार (Saliva) में एमाइलेज (Amylase या टायलिन) एंजाइम पाया जाता है जो भोजन में उपस्थित स्टार्च (Starch) को माल्टोज (Maltose) में तोड़ता है। लार में लाइसोजाइम (Lysozyme) एंजाइम भी होता है जो भोजन के साथ जाने वाले हानिकारक सूक्ष्मजीवों को नष्ट करता है। लार भोजन को गीला और चिपचिपा बनाकर ग्रासनली (Oesophagus) में आसानी से ले जाने में सहायता करती है।
प्र.7: स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ कौन सी हैं और उसके उपोत्पाद क्या हैं?
उत्तर: स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ निम्न हैं:
- CO₂ : वायुमंडल से
- H₂O : भूमि से
- क्लोरोफिल : पत्तियों में
- सूर्य का प्रकाश : सूर्य से
उपोत्पाद: O₂ (ऑक्सीजन) और H₂O (जल)
प्र.8: वायवीय तथा अवायवीय श्वसन में क्या अंतर है? कुछ जीवों के नाम लिखिए जिनमें अवायवीय श्वसन होता है।
उत्तर:
वायवीय श्वसन | अवायवीय श्वसन |
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ऑक्सीजन की उपस्थिति में | ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में |
पूर्ण ग्लूकोज विखंडन | आंशिक ग्लूकोज विखंडन |
38 ATP ऊर्जा | 2 ATP ऊर्जा |
उत्पाद - CO₂ + H₂O | उत्पाद - इथेनॉल/लैक्टिक अम्ल + CO₂ |
उदाहरण: यीस्ट (Yeast), कुछ जीवाणु (Bacteria)
प्र.9: गैसों के अधिकतम विनिमय के लिए कूपिकाएँ किस प्रकार अभिकल्पित हैं?
उत्तर: मानव के फेफड़ों में लाखों कूपिकाएँ (Alveoli) होती हैं जिनका कुल सतही क्षेत्रफल लगभग 80 वर्ग मीटर होता है। इनकी पतली दीवारें और उनमें बहने वाला रक्त उन्हें गैसों (O₂ & CO₂) के प्रभावी आदान-प्रदान के लिए उपयुक्त बनाता है। अधिक सतही क्षेत्रफल गैसों के तीव्र विनिमय को संभव बनाता है।
प्र.10: हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी के कारण क्या परिणाम हो सकते हैं?
उत्तर: हीमोग्लोबिन की कमी से निम्न परिणाम हो सकते हैं:
- O₂ का पर्याप्त वहन न होना
- ऊर्जा का कम निर्माण
- थकान व सांस लेने में दिक्कत
- एनीमिया रोग
- त्वचा का पीला पड़ना
- कमजोरी व वजन घटना
प्र.11: मनुष्य में दोहरा परिसंचरण की व्याख्या कीजिए | यह क्यों आवश्यक है?
उत्तर :
परिवहन के एक चक्र को पूरा करने के लिए रुधिर को हृदय से दो बार गुजरना पड़ता है , इसे ही दोहरा परिसंचरण कहते हैं ।
व्याख्या : - शरीर के प्रत्येक भागों से अशुद्ध रक्त हृदय में माहा शिराओं के द्वारा लाया जाता है तथा यह तथा यह फुफ्फुस धमनी के द्वारा फेफड़ों में भेज दिया जाता है । यहां CO₂ कुपिका में चला जाता है तथा O₂ रक्त में आ जाता है | अब ऑक्सीजनित रुधिर फेफड़ा से फुफ्फुस शिरा के द्वारा हृदय में जाता है जिसे हृदय शरीर के प्रत्येक भागो तक महाधमनी पहुँचा देता है ।
यह निम्न कारण से आवश्यक है :-
(i) ऑक्सीजनित रुधिर तथा विऑक्सीजनित रुधिर को अलग करने के लिए|
(ii) ज्यादा O₂ को प्राप्त करने के लिए |
(iii) ज्यादा ऊर्जा प्राप्त करने के लिए |
प्र.12: जाइलम तथा फ्लोएम में पदार्थों के वहन में क्या अंतर है?
उत्तर : - जाइलम तथा फ्लोएम में पदार्थों के वहन में निम्नलिखित अंतर है -
जाइलम में वहन | फ्लोएम में वहन |
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यह, जल एवं खनिज लवण का वहन करता है| | यह, भोजन का वहन करता है| |
इसमें वहन एक दिशा में होता है| | इसमें वहन दोनों दिशाओं में होता है| |
इसमें परिवहन वाहिनीका तथा वाहिका के द्वारा होता है| | इसमें परिवहन चालनी नलिका तथा साथी कोशिका के द्वारा होता है| |
इसमें ऊर्जा का उपयोग नहीं होता है| | इसमें ऊर्जा का उपयोग होता है| |
इसमें परिवहन वाष्प उत्सर्जन के कारण होता है| | इसमें परिवहन परासरण दाब के कारण होता है। |
प्र.13: फुफ्फुस में कूपिकाओं की तथा वृक्क में वृक्काणु (नेफ्रॉन) की रचना तथा क्रियाविधि की तुलना कीजिए|
उत्तर - फुफ्फुस में कूपिकाओं की तथा वृक्क में वृक्काणु (नेफ्रॉन) की रचना तथा क्रियाविधि की तुलना निम्नलिखित है-
कूपिकाएँ | वृक्काणु |
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यह गुब्बारे की जैसी संरचना होती है| | यह लंबी नली नुमा संरचना होती है| |
यह फेफड़ों में पाया जाता है| | यह वृक्क में पाया जाता है| |
यह फेफड़ों की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई होती है| | यह वृक्क की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई हैं| |
यहाँ गैसों का आदान प्रदान होता है| | यहाँ अशुद्ध रक्त का शुद्धिकरण होता है| |
इसके द्वारा उत्पन्न उत्सर्जी पदार्थ गैसीय अवस्था में पाया जाता है| | इसके द्वारा उत्पन्न उत्सर्जी पदार्थ द्रव अवस्था में पाया जाता है| |