📘 वास्तविक संख्याएँ - अभ्यास प्रश्न

ये प्रश्न परीक्षा की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, जिन्हें हर विद्यार्थी को जरूर तैयार करना चाहिए ✅

📘 Exercise 1.1 – वास्तविक संख्याएँ

प्र.1: निम्नलिखित संख्याओं को अभाज्य गुणनखण्डों के गुणनफल के रूप में व्यक्त कीजिए:

(i) 140  (ii) 156  (iii) 3825  (iv) 5005  (v) 7429

उत्तर:

(i) 140 = 2 × 2 × 5 × 7 = 2² × 5 × 7

(ii) 156 = 2 × 2 × 3 × 13 = 2² × 3 × 13

(iii) 3825 = 3 × 3 × 5 × 5 × 17 = 3² × 5² × 17

(iv) 5005 = 5 × 7 × 11 × 13

(v) 7429 = 17 × 19 × 23

प्र.2: पूर्णांकों के निम्नलिखित युग्मों के HCF और LCM ज्ञात कीजिए तथा इसकी जाँच कीजिए कि दो संख्याओं का गुणनफल = HCF × LCM है।

(i) 26 और 91
(ii) 510 और 92
(iii) 336 और 54

उत्तर:

(i) 26 और 91
मान लीजिए, a = 26, b = 91
26 = 2 × 13, 91 = 7 × 13
🔹 HCF = 13
🔹 LCM = 2 × 7 × 13 = 182
सत्यापन: HCF × LCM = a × b
13 × 182 = 26 × 91
2366 = 2366 ✅
अतः, सिद्ध हुआ कि 👉 HCF × LCM = दो संख्याओं का गुणनफल

(ii) 510 और 92
मान लीजिए, a = 510, b = 92
510 = 2 × 3 × 5 × 17, 92 = 2 × 2 × 23
🔹 HCF = 2
🔹 LCM = 2 × 2 × 3 × 5 × 17 × 23 = 23460
सत्यापन: HCF × LCM = a × b
2 × 23460 = 510 × 92
46920 = 46920 ✅
अतः, सिद्ध हुआ कि 👉 HCF × LCM = दो संख्याओं का गुणनफल

(iii) 336 और 54
मान लीजिए, a = 336, b = 54
336 = 2 × 2 × 2 × 2 × 3 × 7 = 2⁴ × 3 × 7
54 = 2 × 3 × 3 × 3 = 2 × 3³
🔹 HCF = 2 × 3 = 6
🔹 LCM = 2⁴ × 3³ × 7 = 3024
सत्यापन: HCF × LCM = a × b
6 × 3024 = 336 × 54
18144 = 18144 ✅
अतः, सिद्ध हुआ कि 👉 HCF × LCM = दो संख्याओं का गुणनफल

प्र.3: अभाज्य गुणनखण्ड विधि द्वारा निम्नलिखित पूर्णांकों के HCF और LCM ज्ञात कीजिए:

(i) 12, 15 और 21
(ii) 17, 23 और 29
(iii) 8, 9 और 25

(i) 12, 15 और 21
🔹 अभाज्य गुणनखण्ड:
12 = 2 × 2 × 3 = 2² × 3
15 = 3 × 5
21 = 3 × 7
🔸 HCF: सभी में सिर्फ 3 सामान्य है 👉 HCF = 3
🔸 LCM: सभी गुणनखण्डों को अधिकतम घात के साथ लेंगे:
👉 LCM = 2² × 3 × 5 × 7 = 420
✅ HCF = 3, LCM = 420

(ii) 17, 23 और 29
🔹 अभाज्य गुणनखण्ड:
ये सभी अभाज्य संख्याएँ हैं और परस्पर असम्बद्ध हैं:
17 = 17  23 = 23  29 = 29
🔸 HCF: कोई भी सामान्य गुणनखण्ड नहीं है 👉 HCF = 1
🔸 LCM: 👉 LCM = 17 × 23 × 29 = 11339
✅ HCF = 1, LCM = 11339

(iii) 8, 9 और 25
🔹 अभाज्य गुणनखण्ड:
8 = 2 × 2 × 2 = 2³
9 = 3 × 3 = 3²
25 = 5 × 5 = 5²
कोई भी गुणनखण्ड सामान्य नहीं है 👉 HCF = 1
🔸 LCM: 👉 LCM = 2³ × 3² × 5² = 8 × 9 × 25 = 1800
✅ HCF = 1, LCM = 1800

प्र.4: HCF (306, 657) = 9 दिया है। LCM (306, 657) ज्ञात कीजिए।

दो संख्याएँ = 306 और 657
महत्तम समापवर्तक (HCF) = 9
सूत्र: HCF(a, b) × LCM(a, b) = a × b
9 × LCM = 306 × 657
LCM = (306 × 657) / 9
LCM = 22338

अतः, दो संख्याओं 306 और 657 का LCM = 22338 है।

प्र.5: जाँच कीजिए कि क्या किसी प्राकृतिक संख्या n के लिए, संख्या 6n अंक 0 पर समाप्त हो सकती है।

हम जानते हैं कि कोई भी संख्या 0 पर समाप्त तब ही होती है जब वह 10 से विभाज्य हो,
और 10 के अभाज्य गुणनखंड होते हैं: 10 = 2 × 5

अब, 6n का अभाज्य गुणनखंड हमेशा 6 से शुरू होता है। यानी 6 = 2 × 3
अब चाहे n कोई भी प्राकृतिक संख्या हो, तो 6n के अभाज्य गुणनखंडों में हमेशा 2 और 3 तो होंगे,
लेकिन 5 नहीं होगा, क्योंकि 6 और 5 में कोई संबंध नहीं है, और 5 का गुणनखंड तभी आएगा जब n में अलग से 5 मौजूद हो।

इसलिए, 6n कभी भी 10 से पूरी तरह विभाज्य नहीं होगा यानी वह 0 पर समाप्त नहीं हो सकता।

🔚 निष्कर्ष: किसी भी प्राकृतिक संख्या n के लिए, 6n अंक 0 पर समाप्त नहीं हो सकता। ✅

प्र.6: व्याख्या कीजिए कि 7 × 11 × 13 और 7 × 6 × 5 × 3 × 2 × 1 + 5 भाज्य संख्याएँ क्यों हैं।

👉 पहला: 7 × 11 × 13 = 1001
यह संख्या तीन अभाज्य संख्याओं 7, 11 और 13 का गुणनफल है। इसलिए यह 7, 11 और 13 से पूरी तरह विभाजित हो जाती है।
इसलिए 1001 एक भाज्य (divisible) संख्या है।

👉 दूसरा: 7 × 6 × 5 × 3 × 2 × 1 + 5 = 1260 + 5 = 1265
1260 तक की सभी संख्याएँ एक गुणनफल में हैं। जब उसमें 5 जोड़ा गया, तो बनी संख्या 1265
चूँकि इसका अंतिम अंक 5 है, यह 5 से विभाज्य है।

🔚 निष्कर्ष:
✅ 1001 = 7 × 11 × 13 ⇒ भाज्य संख्या
✅ 1265 = 7 × 6 × 5 × 3 × 2 × 1 + 5 ⇒ 5 से विभाज्य ⇒ भाज्य संख्या

👉 इसलिए दोनों संख्याएँ भाज्य हैं।

प्र.7: किसी खेल के मैदान के चारों ओर एक वृत्ताकार पथ है। इस मैदान का एक चक्कर लगाने में सोनिया को 18 मिनट लगते हैं, जबकि इसी मैदान का एक चक्कर लगाने में रवि को 12 मिनट लगते हैं। मान लीजिए वे दोनों एक ही स्थान और एक ही समय पर चलना प्रारंभ करके एक ही दिशा में चलते हैं। कितने समय बाद वे पुनः प्रारंभिक स्थान पर मिलेंगे?

उत्तर: सोनिया और रवि को फिर से एक साथ प्रारंभिक स्थान पर मिलने का समय जानने के लिए, हमें दोनों के समय का LCM (लघुत्तम समापवर्त्य) निकालना होगा।

चलिए पहले दोनों का अभाज्य गुणनखंड (Prime Factorization) निकालते हैं:
18 = 2 × 3 × 3
12 = 2 × 2 × 3

अब, LCM निकालने के लिए हम सभी अभाज्य गुणनखंडों को अधिकतम बार लेंगे:
👉 LCM = 2 × 2 × 3 × 3 = 36

सोनिया और रवि 36 मिनट बाद एक बार फिर प्रारंभिक स्थान पर मिलेंगे। ✅
उत्तर: 36 मिनट ⏱️

📘 Exercise 1.2 – वास्तविक संख्याएँ

प्रश्न 1: सिद्ध कीजिए कि √5 एक अपरिमेय संख्या है।

उत्तर: मान लीजिए √5 एक परिमेय संख्या है। अतः इसे p/q के रूप में व्यक्त किया जा सकता है। अब, मान लें कि p और q सह-अभाज्य पूर्णांक हैं जहाँ q ≠ 0 है।
√5 = p/q
तो, p और q सह-अभाज्य संख्याएँ हैं और q ≠ 0 भी है। इसलिए,
√5 = p/q
दोनों पक्षों का वर्ग करने पर हमें प्राप्त होता है:
(√5)² = (p/q)²
⇒ 5 = p²/q² ………………………… (1)
⇒ 5q² = p²
⇒ p²/5 = q²
तो, 5, p² को विभाजित करता है और p, 5 का गुणज है।
⇒ p = 5k                       [जहाँ k कोई पूर्णांक है]
⇒ p² = 25k²………………………… (2)
समीकरण (1) और (2) से, हम पाते हैं:
5q² = 25k²
⇒ q² = 5k²
q², 5 का गुणज है इसलिए q, 5 का गुणज है।
अतः, p और q के बीच एक उभयनिष्ठ गुणनखंड 5 है। यह इस धारणा का खंडन करता है कि हमने माना था कि वे सह-अभाज्य हैं।
इसलिए p/q एक परिमेय संख्या नहीं है।

अतः, √5 एक अपरिमेय संख्या है।

प्रश्न 2: सिद्ध कीजिए कि 3 + 2√5 एक अपरिमेय संख्या है।

उत्तर: मान लीजिए 3 + 2√5 एक परिमेय संख्या है। तो हम सह-अभाज्य संख्याएँ a तथा b (जहाँ b ≠ 0) प्राप्त कर सकते हैं, जिनके लिए:
3 + 2√5 = a / b जहाँ b ≠ 0
अब, समीकरण को पुनः व्यवस्थित करें:
2√5 = a/b – 3
⇒ 2√5 = (a – 3b)/b
⇒ √5 = (a – 3b)/(2b) ………………… (i)
चूँकि a तथा b पूर्णांक हैं, इसीलिए (a – 3b) और 2b भी पूर्णांक होंगे। और दो पूर्णांकों का भागफल एक परिमेय संख्या होती है।
∴ √5 = (a – 3b)/(2b) = परिमेय संख्या
लेकिन यह इस तथ्य का विरोधाभास है कि √5 एक अपरिमेय संख्या है। अतः हमारी कल्पना गलत है।

निष्कर्ष: 3 + 2√5 एक अपरिमेय संख्या है।

प्रश्न 3: निम्नलिखित संख्याओं के लिए सिद्ध कीजिए कि वे अपरिमेय हैं:

(i) 1/√2    (ii) 7√5    (iii) 6 + √2

उत्तर:

(i) मान लीजिए इसके विपरीत कि √2 एक परिमेय संख्या है।

इसका अर्थ है कि इसे एक भिन्न (fraction) के रूप में लिखा जा सकता है जो कि इसके सरलतम रूप में है:
√2 = a / b जहाँ a और b पूर्णांक (integers) हैं, और a तथा b का कोई भी सामान्य गुणनखंड 1 के अतिरिक्त नहीं है (अर्थात भिन्न अपने सबसे सरल रूप में है)।

अब हम दोनों ओर वर्ग करते हैं ताकि वर्गमूल (square root) समाप्त हो जाए:

(√2)² = (a / b)² ⇒ 2 = a² / b² ⇒ a² = 2b²

अब हमें मिल रहा है कि a², 2 का गुणज (multiple) है। इसका मतलब है कि a² एक सम संख्या (even number) है।

और जब किसी संख्या का वर्ग सम होता है, तो स्वयं वह संख्या भी सम होती है।

➡️ इसलिए a एक सम संख्या है। अब हम a को इस रूप में लिख सकते हैं:
a = 2k, जहाँ k कोई पूर्णांक है।

अब इस मान को ऊपर की समीकरण में रखें:

a² = (2k)² = 4k² ⇒ 2b² = 4k² ⇒ b² = 2k²

अब हमें मिला कि भी 2 का गुणज है, इसका मतलब है कि b भी सम संख्या है।

अब हम पाते हैं कि:

  • a भी सम है
  • b भी सम है

इसका अर्थ है कि a और b दोनों में 2 एक सामान्य गुणनखंड है, जो कि हमारे प्रारंभिक अनुमान के विपरीत है (हमने माना था कि a और b सह-अभाज्य हैं – उनके बीच कोई भी सामान्य गुणनखंड नहीं है सिवाय 1 के)।

इसलिए, हमारी प्रारंभिक मान्यता गलत है।
√2 एक अपरिमेय संख्या है।


(ii) उत्तर:

मान लीजिए 7√2 एक परिमेय संख्या है।∴ हम ऐसे दो पूर्णांक a तथा b (जहाँ b ≠ 0) प्राप्त कर सकते हैं, जिनके लिए:
7√2 = a / b ……………… (i)

चूँकि a, 7 और b सभी पूर्णांक हैं, और दो पूर्णांकों का भागफल एक परिमेय संख्या होती है।∴ (a / b) एक परिमेय संख्या है।

⇒ समीकरण (i) से √2 = a / (7b) ⇒ √2 एक परिमेय संख्या है।

लेकिन यह इस तथ्य का विरोधाभास है कि √2 एक अपरिमेय संख्या है।∴ हमारी कल्पना गलत है।

निष्कर्ष: 7√2 एक अपरिमेय संख्या है।


(iii) मान लीजिए 6 + √2 एक परिमेय संख्या है। तो हम सह-अभाज्य संख्याएँ a तथा b (जहाँ b ≠ 0) प्राप्त कर सकते हैं, जिनके लिए:
6 + √2 = a / b जहाँ b ≠ 0

अब समीकरण को पुनः व्यवस्थित करें:

√2 = a/b – 6 ⇒ √2 = (a – 6b)/b ……………… (i)

चूँकि a तथा b पूर्णांक हैं, इसीलिए (a – 6b) और b भी पूर्णांक होंगे। और दो पूर्णांकों का भागफल एक परिमेय संख्या होता है।

∴ √2 = (a – 6b)/b = परिमेय संख्या

लेकिन यह इस तथ्य का विरोधाभास है कि √2 एक अपरिमेय संख्या है। अतः हमारी कल्पना गलत है।

निष्कर्ष: 6 + √2 एक अपरिमेय संख्या है।

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