1. (क) ज्युसेपे मेत्सिनी
ज्युसेपे मेत्सिनी उन्नीसवीं सदी के सबसे महत्वपूर्ण राष्ट्रवादी नेताओं में से एक थे। उनका जन्म इटली में हुआ था और उन्होंने 'यंग इटली' नामक संगठन की स्थापना की थी। उनका मानना था कि राष्ट्रों को जनता द्वारा शासित गणराज्य होना चाहिए। उन्होंने युवाओं को संगठित किया और इटली के एकीकरण के लिए क्रांतिकारी आंदोलन चलाया। उनकी सोच ने यूरोप के अन्य हिस्सों में भी राष्ट्रवाद को प्रेरित किया। उन्होंने मानवीय अधिकारों, लोकतंत्र और स्वतंत्रता की बातें कीं। हालाँकि, उनके प्रयासों को तत्काल सफलता नहीं मिली, लेकिन उन्होंने इटली और यूरोप में राष्ट्रवादी आंदोलनों को दिशा दी और राजनीतिक चेतना जगाई।
1. (ख) काउंट कैमिलो दे काबूर
काउंट कैमिलो दे काबूर सार्डिनिया-पिडमॉन्ट राज्य के प्रधानमंत्री थे और इटली के एकीकरण के पीछे की राजनीतिक शक्ति माने जाते हैं। काबूर ने कूटनीतिक समझौतों और सैन्य गठजोड़ के माध्यम से इटली को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने फ्रांस से गठबंधन किया और ऑस्ट्रिया के खिलाफ युद्ध में विजय प्राप्त की, जिससे उत्तरी इटली के कई राज्य एकजुट हुए। काबूर ने राष्ट्रवाद को व्यावहारिक राजनीति से जोड़ा और राजा विक्टर इमैनुएल द्वितीय के नेतृत्व में एक आधुनिक और एकीकृत इटली का निर्माण किया। उन्होंने इटली के एकीकरण को संभव बनाने के लिए व्यावहारिक और रणनीतिक नीतियाँ अपनाईं।
1. (ग) यूनानी स्वतंत्रता युद्ध
यूनानी स्वतंत्रता युद्ध 1821 में शुरू हुआ, जब यूनान ने ऑटोमन साम्राज्य से स्वतंत्र होने के लिए सशस्त्र संघर्ष शुरू किया। यूरोप के लोगों ने इस संघर्ष को प्राचीन यूनानी संस्कृति से जोड़कर देखा, जिसने लोकतंत्र और दर्शन का जन्म दिया था। यूरोपीय कवियों, कलाकारों और बुद्धिजीवियों ने यूनान का समर्थन किया। इंग्लैंड, फ्रांस और रूस जैसे देशों ने भी यूनान की सहायता की। 1832 में यूनान को स्वतंत्रता प्राप्त हुई और इसे यूरोप में राष्ट्रवादी आंदोलन की सफलता का प्रतीक माना गया। इसने दिखाया कि संस्कृति, इतिहास और बाहरी समर्थन से राष्ट्रवाद को मजबूती मिल सकती है।
1. (घ) फ्रैंकफर्ट संसद
1848 में जर्मन उदारवादी और राष्ट्रवादी नेताओं ने फ्रैंकफर्ट संसद का गठन किया, जिसका उद्देश्य जर्मनी को एकजुट करना और एक संविधान बनाना था। संसद ने संविधान बनाकर प्रशा के राजा को जर्मनी का सम्राट बनाने का प्रस्ताव रखा, लेकिन राजा ने इसे अस्वीकार कर दिया क्योंकि वह जनता से शक्ति प्राप्त करने को अपमानजनक मानता था। संसद को कोई सैन्य समर्थन नहीं मिला और यह विफल हो गई। इसके बावजूद, फ्रैंकफर्ट संसद ने लोकतांत्रिक आदर्शों और राष्ट्रवाद को नई दिशा दी। यह घटना दर्शाती है कि केवल वैचारिक प्रयासों से राष्ट्र का निर्माण संभव नहीं था, इसके लिए सशक्त नेतृत्व और सैन्य शक्ति भी जरूरी थी।
1. (ङ) राष्ट्रवादी संघर्षों में महिलाओं की भूमिका
उन्नीसवीं सदी के राष्ट्रवादी संघर्षों में महिलाओं की भूमिका को अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है, लेकिन उन्होंने आंदोलन को जीवित रखने में बड़ी भागीदारी निभाई। महिलाओं ने गुप्त बैठकों का आयोजन किया, क्रांतिकारियों को भोजन और आश्रय दिया, धन इकट्ठा किया और राष्ट्रवादी साहित्य फैलाया। वे प्रदर्शन रैलियों में भी शामिल हुईं। कुछ देशों में महिलाओं ने महिला संघ बनाए और शिक्षा के माध्यम से महिलाओं में जागरूकता फैलाई। हालाँकि, उनके योगदान के बावजूद, आंदोलन सफल होने के बाद महिलाओं को समान अधिकार नहीं मिले। इससे महिलाओं के अधिकारों के लिए नए आंदोलनों की भी शुरुआत हुई।
2. फ्रांसीसी लोगों के बीच सामूहिक पहचान का भाव पैदा करने के लिए फ्रांसीसी क्रांतिकारियों ने क्या कदम उठाए?
फ्रांसीसी क्रांतिकारियों ने राष्ट्र को एकजुट करने के लिए कई प्रतीकात्मक और व्यावहारिक कदम उठाए। उन्होंने नया राष्ट्रीय झंडा अपनाया, राष्ट्रगान ‘ला मार्सेलेस’ बनाया और मारीआन जैसी महिला प्रतीक को लोकप्रिय किया, जिसने स्वतंत्रता और गणराज्य का प्रतिनिधित्व किया। पुरानी प्रांतीय भाषाओं को हटाकर मानक फ्रांसीसी भाषा को प्राथमिकता दी गई, जिससे संचार और प्रशासन में एकरूपता आई। नई पाठ्यपुस्तकें बनाई गईं, जो राष्ट्रीय गौरव और नागरिक जिम्मेदारियों पर केंद्रित थीं। सड़कों, डाक व्यवस्था, कर प्रणाली में सुधार किए गए और सामंतवादी संरचना को खत्म किया गया। इन सभी कदमों ने एक साझा राष्ट्रीय पहचान को मजबूत किया।
3. मारीआन और जर्मेनिया कौन थे? जिस तरह उन्हें चित्रित किया गया उसका क्या महत्त्व था?
मारीआन फ्रांस की राष्ट्र-प्रतीक थी और उसे स्वतंत्रता, गणराज्य और राष्ट्रीय एकता का प्रतिनिधित्व करने वाली महिला के रूप में चित्रित किया गया। मारीआन के चित्रों में लाल टोपी, त्रिकोणीय टोपी और ताज होते थे, जो स्वतंत्रता और नागरिक अधिकारों के प्रतीक थे। इसी प्रकार जर्मेनिया जर्मन राष्ट्र की प्रतीक थी। उसे एक मजबूत महिला योद्धा के रूप में दिखाया गया, जिसके हाथ में तलवार और सिर पर जैतून का मुकुट होता था। इस तरह के प्रतीकों ने जनता को एक साझा राष्ट्रीय आदर्श से जोड़ा और लोगों को राष्ट्र के लिए बलिदान देने के लिए प्रेरित किया। ये चित्रण राष्ट्रवाद के विचार को भावनात्मक और दृश्य रूप में मजबूत बनाते थे।
4. जर्मन एकीकरण की प्रक्रिया का संक्षेप में पता लगाएँ।
जर्मन एकीकरण का नेतृत्व प्रशा ने किया। 1860 के दशक में प्रधानमंत्री ओटो वॉन बिस्मार्क ने 'लोहा और रक्त' नीति अपनाई। उन्होंने डेनमार्क, ऑस्ट्रिया और फ्रांस के खिलाफ तीन युद्ध किए। पहले डेनमार्क को हराया और श्लेस्विग-होलस्टीन राज्य पर अधिकार किया। फिर ऑस्ट्रिया को हराकर उत्तरी जर्मन संघ बनाया। अंत में फ्रांस-प्रशा युद्ध में फ्रांस को हराया और दक्षिणी जर्मन राज्य भी जुड़ गए। 1871 में वर्साय के महल में जर्मन सम्राट की घोषणा हुई और जर्मनी एक शक्तिशाली साम्राज्य बना। जर्मन एकीकरण ने दिखाया कि राष्ट्रवाद को मजबूत नेतृत्व, सैन्य शक्ति और व्यावहारिक कूटनीति की जरूरत होती है।
5. नेपोलियन ने शासन को अधिक कुशल बनाने के लिए क्या बदलाव किए?
नेपोलियन बोनापार्ट ने यूरोप के कई हिस्सों में प्रशासनिक सुधार किए ताकि उसकी सत्ता मजबूत हो और शासन कुशल बने। उसने पुरानी सामंती व्यवस्थाएँ समाप्त कीं, जो कर वसूली और प्रशासन में बाधा डालती थीं। नेपोलियन कोड नामक नागरिक संहिता लागू की गई, जिसमें सभी के लिए समान कानून, संपत्ति के अधिकार और जन्म आधारित विशेषाधिकारों की समाप्ति जैसे प्रावधान थे। कर प्रणाली को व्यवस्थित किया गया और सड़कें, डाक व्यवस्था तथा संचार तंत्र को मजबूत किया गया। उसने शिक्षा व्यवस्था में सुधार किया और सरकारी नौकरियों के लिए योग्यता को प्राथमिकता दी। इन सुधारों से प्रशासन में पारदर्शिता और दक्षता आई और यूरोप के कई हिस्सों में आधुनिक शासन व्यवस्था की नींव पड़ी।
6. 1848 की उदारवादी क्रांति का अर्थ और उनके विचार
1848 की उदारवादी क्रांति यूरोप के विभिन्न हिस्सों में लोकतंत्र, राष्ट्रीय एकता और नागरिक अधिकारों की माँग को लेकर हुई थी। उदारवादी शिक्षित मध्यवर्ग के लोग थे जो चाहते थे कि निरंकुश शासकों की शक्ति सीमित हो और संवैधानिक शासन लागू हो। उन्होंने प्रेस की स्वतंत्रता, भाषण की स्वतंत्रता और व्यक्तियों के मौलिक अधिकारों को बढ़ावा दिया। आर्थिक क्षेत्र में वे आंतरिक व्यापार बाधाओं को समाप्त कर राष्ट्रीय बाजार का विकास चाहते थे। सामाजिक रूप से उन्होंने समान नागरिक अधिकारों की वकालत की। हालाँकि यह आंदोलन कई जगह विफल रहा, लेकिन इसने भविष्य के लोकतांत्रिक आंदोलनों के लिए मार्ग प्रशस्त किया और राष्ट्रवाद को और मजबूत किया।
7. संस्कृति का राष्ट्रवाद में योगदान – तीन उदाहरण
राष्ट्रवाद के विकास में संस्कृति ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पहला उदाहरण लोकगीत और लोककथाएँ हैं, जैसे जर्मनी में ग्रिम बंधुओं ने जर्मन लोककथाओं को संग्रहित कर राष्ट्रीय भावना को बढ़ाया। दूसरा उदाहरण भाषा का है – पोलैंड में जब शासन ने पोलिश भाषा पर प्रतिबंध लगाया तो लोगों ने गुप्त स्कूल चलाकर भाषा को जीवित रखा और इससे राष्ट्रवाद को ताकत मिली। तीसरा उदाहरण चित्रकला और साहित्य का है – यूरोप भर में कवियों और चित्रकारों ने स्वतंत्रता की प्रतीकात्मक छवियाँ बनाई, जैसे मारीआन और जर्मेनिया, जिससे जनता को राष्ट्रीय गौरव से जोड़ा गया। इन सांस्कृतिक तत्वों ने राष्ट्र की साझा पहचान को मजबूत किया।
8. दो देशों के उदाहरण – 19वीं सदी में राष्ट्र का विकास
पहला उदाहरण जर्मनी का है – प्रशा के नेतृत्व में बिस्मार्क ने सैन्य और कूटनीतिक तरीके से जर्मन राज्यों को एकजुट कर 1871 में जर्मन साम्राज्य की स्थापना की। यह दिखाता है कि मजबूत नेतृत्व और युद्ध से राष्ट्रवाद कैसे सफल हुआ। दूसरा उदाहरण इटली का है – मेत्सिनी ने विचारधारा दी, गारिबाल्डी ने सैन्य नेतृत्व किया और काउंट काबूर ने कूटनीति से उत्तरी इटली को जोड़ा। सार्डिनिया-पिडमॉन्ट ने इस प्रक्रिया का नेतृत्व किया और 1861 में इटली एकीकृत हुआ। इन उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि 19वीं सदी में राष्ट्रवाद केवल विचारधारा पर नहीं, बल्कि व्यावहारिक राजनीति और सैन्य शक्ति पर भी निर्भर था।
9. ब्रिटेन में राष्ट्रवाद का इतिहास शेष यूरोप से अलग क्यों था?
ब्रिटेन में राष्ट्रवाद का विकास यूरोप के अन्य हिस्सों से अलग था। यूरोप में राष्ट्र निर्माण के लिए लोगों को एकजुट करने के लिए क्रांतिकारी संघर्ष और युद्ध हुए, जबकि ब्रिटेन में यह प्रक्रिया धीरे-धीरे संसदीय प्रणाली और शासन सुधारों से हुई। इंग्लैंड, स्कॉटलैंड और आयरलैंड को जोड़कर ग्रेट ब्रिटेन बना। वेल्स और स्कॉटलैंड के स्थानीय कानूनों और संस्कृति को दबाकर एक समान अंग्रेजी भाषा और संस्कृति को प्रमुखता दी गई। औद्योगिक क्रांति और उपनिवेशों ने ब्रिटेन की शक्ति को बढ़ाया। इसके विपरीत, यूरोप में कई जगह एकीकरण के लिए रक्तपात और क्रांति जरूरी हुई। ब्रिटेन में संसद और राजा के बीच सत्ता संतुलन से शांति से राष्ट्रवाद का विकास हुआ।
10. बाल्कन प्रदेशों में राष्ट्रवादी तनाव क्यों पनपा?
बाल्कन प्रदेश में राष्ट्रवादी तनाव का कारण वहाँ की जातीय विविधता और ऑटोमन साम्राज्य का कमजोर होना था। बाल्कन क्षेत्र में सर्ब, क्रोट, स्लोवेन, ग्रीक, बुल्गारियाई, रोमानियन जैसी कई नस्लीय समूह रहते थे। हर समूह अपनी स्वतंत्र पहचान और अलग राज्य चाहता था। ऑटोमन साम्राज्य के कमजोर होने से अलग-अलग समूहों को आजादी का अवसर मिला। बड़ी शक्तियाँ जैसे रूस, ऑस्ट्रिया-हंगरी और ब्रिटेन भी बाल्कन में हस्तक्षेप करने लगे। इससे वहाँ संघर्ष और विद्रोह बढ़े। इन राष्ट्रवादी तनावों ने पूरे यूरोप में अशांति फैलाई और यही अस्थिरता आगे चलकर प्रथम विश्व युद्ध के प्रमुख कारणों में से एक बनी।